कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 73


ਗੁਰਸਿਖ ਏਕਮੇਕ ਰੋਮ ਮਹਿਮਾ ਅਨੰਤ ਅਗਮ ਅਪਾਰ ਗੁਰ ਮਹਿਮਾ ਨਿਧਾਨ ਹੈ ।
गुरसिख एकमेक रोम महिमा अनंत अगम अपार गुर महिमा निधान है ।

सच्चे गुरु की सेवा में नाम सिमरन के अटूट परिश्रम के कारण एक गुरसिख के एक बाल की महिमा अनंत है। फिर असंख्य गुणों से युक्त वह अगम्य सतगुरु तो प्रशंसाओं का भण्डार है।

ਗੁਰਸਿਖ ਏਕਮੇਕ ਬੋਲ ਕੋ ਨ ਤੋਲ ਮੋਲ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰ ਸਬਦ ਅਗਮਿਤਿ ਗਿਆਨ ਧਿਆਨ ਹੈ ।
गुरसिख एकमेक बोल को न तोल मोल स्री गुर सबद अगमिति गिआन धिआन है ।

जो लोग अपने सच्चे गुरु की आज्ञा का पालन करते हैं; जो अपने गुरु के साथ एकाकार हो जाते हैं, उनके वचन मूल्यांकन से परे होते हैं। फिर एक सच्चे गुरु के दिव्य वचन, उनका ज्ञान और उनके उपदेशों का चिंतन समझ से परे होता है।

ਗੁਰਸਿਖ ਏਕਮੇਕ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਤਾਰੈ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰ ਕਟਾਛ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕੋ ਨ ਪਰਮਾਨ ਹੈ ।
गुरसिख एकमेक द्रिसटि द्रिसटि तारै स्री गुर कटाछ क्रिपा को न परमान है ।

जब कोई सच्चे गुरु के साथ एकरस होकर उनके नाम का ध्यान करता है, तो उनकी एक झलक ही उसे भवसागर से पार उतारने के लिए पर्याप्त होती है। तब सच्चे गुरु की शक्ति की तीव्रता अकल्पनीय होती है।

ਗੁਰਸਿਖ ਏਕਮੇਕ ਪਲ ਸੰਗ ਰੰਗ ਰਸ ਅਬਿਗਤ ਗਤਿ ਸਤਿਗੁਰ ਨਿਰਬਾਨ ਹੈ ।੭੩।
गुरसिख एकमेक पल संग रंग रस अबिगत गति सतिगुर निरबान है ।७३।

जो व्यक्ति भगवान के नाम के ध्यान में डूबा रहता है, उसका क्षण भर का संग उसे सुख, आनंद और जीवन अमृत प्रदान करता है। अविनाशी भगवान की तरह सद्गुरु भी शाश्वत आनंद के प्रतीक हैं। (73)