जैसे जल से न धोया हुआ कपड़ा गन्दा रहता है, तथा तेल न लगाने पर बाल बिखरे और उलझे रहते हैं।
जिस प्रकार यदि शीशा साफ न किया जाए तो उसमें से प्रकाश नहीं निकल सकता, तथा जिस प्रकार बिना वर्षा के खेत में फसल नहीं उगती,
जैसे दीपक के बिना घर अंधकार में रहता है तथा नमक और घी के बिना भोजन स्वादहीन होता है, वैसे ही
इसी प्रकार संतात्माओं और सच्चे गुरु के भक्तों की संगति के बिना बार-बार जन्म-मरण का कष्ट मिट नहीं सकता और न ही सच्चे गुरु के उपदेश पर अमल किए बिना सांसारिक भय और शंकाएं नष्ट हो सकती हैं। (537)