यह और परलोक दोनों लोक मेरे मित्र गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के एक बाल के मूल्य के बराबर या उससे मेल नहीं खाते। (2) (1)
मुझमें इतनी शक्ति नहीं कि मैं उसकी एक भी टेढ़ी नज़र की तीव्रता सहन कर सकूँ,
(2) कभी वे रहस्यदर्शी की तरह, कभी ध्यानी की तरह, तो कभी निश्चिन्त संन्यासी की तरह व्यवहार करते हैं। वे हमारे पथ-प्रदर्शक हैं। वे अनेक प्रकार की मुद्राओं में कार्य करते हैं। (2) (3) उनके सच्चे भक्त-प्रेमी के अतिरिक्त और कौन उनके मोती-जैसे होठों का मूल्यांकन कर सकता है? इस रत्न का मूल्य हीरे जैसी दृष्टि से ही आंका जा सकता है। (2) (4) गोया के जीवन के प्रत्येक क्षण में मेरा सजग हृदय और आत्मा उनकी नार्सिसस-सी आँखों की मादकता की स्मृति का आनन्द ले रहे हैं। (2) (5) हे बारटेंडर! कृपया अपने आनन्ददायक नशे में से एक मर्मस्पर्शी घूँट मेरे लिए भी छोड़ दो, ताकि मैं ईश्वर-प्रदत्त पैगम्बर को पहचानने वाली अपनी आँखों से अपनी सभी पहेलियाँ सुलझा सकूँ। (3) (1) हे मेरे प्रियतम, गंतव्य की ओर बढ़ते समय मैं सदैव आनन्दित रहता हूँ।
ऊँट के गले में बंधी घंटी व्यर्थ ही बज रही है। यह मुझे मेरे लक्ष्य की ओर बढ़ने से नहीं रोक सकती। (3) (2)
अकालपुरुष सर्वव्यापी हैं। उनकी झलक पाने का हमारा प्रयास सहज होना चाहिए
भँवर, धार या नदी के किनारे की किसी भी बाधा के बिना। (3) (3)
हम क्यों जंगलों और बीहड़ों में (लक्ष्यहीन) भटक रहे हैं,
जब वह, सौन्दर्य का स्वामी, हमारी ही आँखों में अपना निवास बना चुका है? (3) (4)
जब मैं अकालपुरख के बिना चारों ओर देखता हूं, तो मुझे केवल एक बड़ा शून्य दिखाई देता है;
फिर गोया, तू ही बता, मैं यह संसार, अपना घर-बार किसके भरोसे छोड़ूँ? (3) (5) ऐ शराबखानेवाले! मेरा गिलास रंगीन शराब से भर दे, प्रेम का प्याला, क्योंकि माणिक्य रंग की शराब मुझे मेरे मालिक की ओर संकेत देगी। (4) (1) अगर मंसूर के होठों से निकले शब्द 'अनलहक़' की तरह लंबी गर्दन वाली शराब की आवाज़ लहरदार हो जाए, तो ऐसी तड़के की शराब की ताक़त कौन सह पाएगा? और दिमाग़ का प्याला कहाँ होगा (इतनी ताकतवर शराब पीने के लिए)? (4) (2) दुनिया में अँधेरा है। ऐ महबूब! अपनी खूबसूरती को और निखार और अपना चाँद-सा चेहरा राहगीरों के लिए मोमबत्ती की तरह बना। और अपना चेहरा साफ़-साफ़ पहचान वाला बना, क्योंकि इस दुनिया में रोशनी (दीपक) की ज़रूरत है। (4) (3) अगर हम अपने मालिक की संगति में एक पल (परमानंद) पा सकें तो पूरी ज़िंदगी जीने लायक हो जाती है (4) गोया कहते हैं, "मेरी दोनों आँखें एक लम्बी और बड़ी धारा के समान हैं,