मेरा विश्वास करो! कि उसका भिक्षुक भी सम्राटों का सम्राट है,
क्योंकि, वह अपनी एक ही दृष्टि से किसी को भी संसार की सम्पत्ति प्रदान कर सकता था। (27) (4)
हे गोया! सदैव अकालपुरख के भक्तों की संगति करो,
क्योंकि उसके साधक सदैव उससे जुड़े रहते हैं। (27) (5)
यद्यपि मेरे हाथ-पैर सांसारिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं,
परन्तु मैं क्या करूँ, (क्योंकि मैं विवश हूँ) मेरा मन निरन्तर अपने प्रियतम का चिन्तन कर रहा है। (28) (1)
यद्यपि 'कोई देख नहीं सकता' की आवाज हमारे कानों में हर समय गूंजती रहती है,
परन्तु मूसा फिर भी यहोवा के दर्शन पाने के लिये आगे बढ़ता रहा। (28) (2)
ये वो आँख नहीं जो आँसू बहाएगी,
वास्तव में, प्रेम और भक्ति का प्याला सदैव लबालब भरा रहता है। (28) (3)