हे प्रभु! आप मनुष्यों के स्वामी हैं!
हे प्रभु! आप दुष्टों का नाश करने वाले हैं! 180
हे प्रभु! आप ही संसार के पालनहार हैं!
हे प्रभु! आप दया के घर हैं!
हे प्रभु! आप राजाओं के प्रभु हैं!
हे प्रभु! आप सबके रक्षक हैं! 181
हे प्रभु! आप जन्म-जन्मान्तर के चक्र के नाश करने वाले हैं!
हे प्रभु! आप शत्रुओं के विजेता हैं!
हे प्रभु! आप शत्रुओं को कष्ट पहुँचाते हैं!
हे प्रभु! तू दूसरों से अपना नाम जपवाता है! 182
हे प्रभु! आप दोषों से मुक्त हैं!
हे प्रभु! सब आपके ही रूप हैं!
हे प्रभु! आप सृष्टिकर्ताओं के भी सृष्टिकर्ता हैं!
हे प्रभु! आप विध्वंसकों के भी विध्वंसक हैं! 183
हे प्रभु! आप ही परमात्मा हैं!
हे प्रभु! आप ही समस्त आत्माओं के मूल हैं!
हे प्रभु! आप स्वयं ही नियंत्रित हैं!
हे प्रभु! आप अधीन नहीं हैं! 184
भुजंग प्रयात छंद
हे सूर्यों के सूर्य, तुम्हें नमस्कार है! हे चन्द्रमाओं के चन्द्रमा, तुम्हें नमस्कार है!