तो फिर चेतन और अवचेतन के अभिलेख लिखने वालों द्वारा किसे जवाबदेह ठहराया गया?
जब वहाँ केवल निष्कलंक, अज्ञेय, अथाह गुरु ही थे,
तो फिर कौन मुक्त हुआ और कौन बंधन में रहा?
वह स्वयं, अपने आप में, सबसे अद्भुत है।
हे नानक, उन्होंने स्वयं ही अपना रूप रचा है। ||३||
जब केवल वही निष्कलंक सत्ता थी, प्राणियों का स्वामी,
वहाँ कोई गंदगी नहीं थी, तो फिर धोने के लिए क्या था?
जब निर्वाण में केवल शुद्ध, निराकार भगवान थे,
तो फिर किसका सम्मान हुआ और किसका अपमान?
जब केवल ब्रह्माण्ड के स्वामी का ही रूप था,
तो फिर धोखाधड़ी और पाप से कौन कलंकित हुआ?
जब प्रकाश का स्वरूप अपने ही प्रकाश में लीन हो गया,
तो फिर कौन भूखा रहा और कौन तृप्त हुआ?
वह कारणों का कारण है, सृष्टिकर्ता भगवान है।
हे नानक, सृष्टिकर्ता गणना से परे है। ||४||
जब उसकी महिमा स्वयं उसके भीतर समाहित थी,
तो फिर माता, पिता, मित्र, बच्चा या भाई-बहन कौन था?
जब सारी शक्ति और बुद्धि उनमें निहित थी,
तो फिर वेद और शास्त्र कहां थे और उन्हें पढ़ने वाला कौन था?
जब उसने स्वयं को, सम्पूर्ण रूप से, अपने हृदय में ही रखा,