मनमुख संशय से भ्रमित होकर जंगल में भटक रहे हैं।
रास्ता भटक जाने के कारण वे लूट लिए जाते हैं; वे श्मशान घाट पर मंत्रोच्चार करते हैं।
वे शबद के बारे में नहीं सोचते, बल्कि अश्लील बातें बोलते हैं।
हे नानक, जो लोग सत्य के प्रति समर्पित हैं, वे शांति को जानते हैं। ||२६||
गुरमुख ईश्वर, सच्चे प्रभु के भय में रहता है।
गुरु की बानी के माध्यम से, गुरुमुख अपरिष्कृत को परिष्कृत करता है।
गुरमुख प्रभु की पवित्र, महिमापूर्ण स्तुति गाता है।
गुरुमुख सर्वोच्च, पवित्र स्थिति प्राप्त करता है।
गुरुमुख अपने शरीर के प्रत्येक रोम से भगवान का ध्यान करता है।
हे नानक, गुरुमुख सत्य में विलीन हो जाता है। ||27||
गुरुमुख सच्चे गुरु को प्रसन्न करने वाला है; यह वेदों का चिंतन है।
सच्चे गुरु को प्रसन्न करके गुरुमुख को पार किया जाता है।
सच्चे गुरु को प्रसन्न करके गुरुमुख को शबद का आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
सच्चे गुरु को प्रसन्न करने पर गुरुमुख को अपने भीतर का मार्ग ज्ञात हो जाता है।
गुरुमुख अदृश्य और अनंत प्रभु को प्राप्त करता है।
हे नानक, गुरमुख मोक्ष का द्वार पाता है। ||२८||
गुरमुख अव्यक्त ज्ञान बोलता है।
अपने परिवार के बीच, गुरुमुख एक आध्यात्मिक जीवन जीता है।
गुरुमुख प्रेमपूर्वक अपने अंतर में गहराई से ध्यान करता है।
गुरमुख को शबद और धार्मिक आचरण प्राप्त होता है।