वह शब्द के रहस्य को जानता है और दूसरों को भी इसे जानने के लिए प्रेरित करता है।
हे नानक! वह अपने अहंकार को जलाकर प्रभु में लीन हो जाता है। ||२९||
सच्चे प्रभु ने गुरुमुखों के लिए पृथ्वी का निर्माण किया।
वहाँ उन्होंने सृजन और विनाश की लीला प्रारम्भ की।
जो व्यक्ति गुरु के शब्द से परिपूर्ण हो जाता है, उसमें प्रभु के प्रति प्रेम जागृत हो जाता है।
सत्य से परिचित होकर वह सम्मानपूर्वक अपने घर जाता है।
सच्चे शब्द शबद के बिना किसी को सम्मान नहीं मिलता।
हे नानक, नाम के बिना मनुष्य सत्य में कैसे लीन हो सकता है? ||३०||
गुरमुख को आठ चमत्कारिक आध्यात्मिक शक्तियां और समस्त ज्ञान प्राप्त होता है।
गुरमुख भयानक संसार-सागर को पार कर जाता है, और सच्चा ज्ञान प्राप्त करता है।
गुरमुख सत्य और असत्य का मार्ग जानता है।
गुरमुख सांसारिकता और त्याग को जानता है।
गुरुमुख नदी पार करता है और दूसरों को भी नदी पार कराता है।
हे नानक, शबद से गुरुमुख का उद्धार होता है। ||३१||
भगवान के नाम के प्रति समर्पित होने से अहंकार दूर हो जाता है।
वे नाम से जुड़े हुए, सच्चे प्रभु में लीन रहते हैं।
नाम के प्रति समर्पित होकर वे योग मार्ग का चिंतन करते हैं।
नाम के प्रति समर्पित होकर वे मुक्ति का द्वार पा लेते हैं।
नाम से अनुरक्त होकर वे तीनों लोकों को समझ जाते हैं।
हे नानक, नाम से एकाग्र होने पर शाश्वत शांति मिलती है। ||३२||