नाम के प्रति समर्पित होकर वे सिद्ध गोष्ठी अर्थात् सिद्धों से वार्तालाप प्राप्त करते हैं।
नाम के प्रति समर्पित होकर वे सदैव गहन ध्यान का अभ्यास करते हैं।
नाम से अनुरक्त होकर वे सच्ची और उत्कृष्ट जीवनशैली जीते हैं।
नाम के प्रति समर्पित होकर वे भगवान के गुणों और आध्यात्मिक ज्ञान का चिंतन करते हैं।
नाम के बिना जो कुछ कहा जाता है वह सब व्यर्थ है।
हे नानक, नाम में लीन हो जाने वाले उनकी विजय का उत्सव मनाया जाता है। ||३३||
पूर्ण गुरु के माध्यम से, मनुष्य को भगवान का नाम प्राप्त होता है।
योग का मार्ग सत्य में लीन रहना है।
योगी लोग योग की बारह शाखाओं में विचरण करते हैं; संन्यासी लोग छठी और चौथी शाखा में।
जो जीवित रहते हुए भी मृत रहता है, वह गुरु के शब्द के माध्यम से मुक्ति का द्वार पा लेता है।
शब्द के बिना सभी द्वैत में आसक्त हैं। अपने हृदय में इस पर विचार करो और देखो।
हे नानक! वे लोग धन्य और भाग्यशाली हैं जो सच्चे प्रभु को अपने हृदय में स्थापित रखते हैं। ||34||
गुरुमुख भगवान पर प्रेमपूर्वक ध्यान केन्द्रित करके रत्न प्राप्त करता है।
गुरमुख सहज रूप से इस रत्न के मूल्य को पहचानता है।
गुरमुख सत्य का आचरण करता है।
गुरमुख का मन सच्चे प्रभु से प्रसन्न रहता है।
जब प्रभु प्रसन्न होते हैं, तो गुरुमुख अदृश्य को देख लेता है।
हे नानक, गुरमुख को दण्ड नहीं भोगना पड़ता। ||३५||
गुरुमुख को नाम, दान और शुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गुरुमुख अपना ध्यान दिव्य भगवान पर केन्द्रित करता है।