गर्भ के कक्ष में उल्टे लेटकर उन्होंने गहन ध्यान साधना की।
वे प्रत्येक सांस के साथ ईश्वर का स्मरण करते थे।
लेकिन अब वे उन चीजों में उलझे हुए हैं जिन्हें उन्हें पीछे छोड़ देना चाहिए।
वे अपने मन से महान दाता को भूल जाते हैं।
हे नानक, जिन पर प्रभु दया बरसाते हैं,
उसे न भूलना, यहाँ या परलोक में। ||६||
सलोक:
उसकी आज्ञा से हम आते हैं और उसकी आज्ञा से हम जाते हैं; उसकी आज्ञा से कोई परे नहीं है।
हे नानक! जिनका मन प्रभु से परिपूर्ण है, उनके लिए पुनर्जन्म में आना-जाना समाप्त हो गया है। ||१||
पौरी:
यह आत्मा अनेक योनियों में रह चुकी है।
मधुर आसक्ति से मोहित होकर यह पुनर्जन्म में फँस गया है।
इस माया ने तीन गुणों के माध्यम से प्राणियों को अपने वश में कर रखा है।
माया ने प्रत्येक हृदय में अपने प्रति आसक्ति भर दी है।
हे मित्र कोई रास्ता बता दो,
जिससे मैं इस माया रूपी दुर्गम सागर को तैरकर पार कर सकूँ।
प्रभु अपनी दया बरसाते हैं और हमें सत संगत, सच्ची संगति में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं।
हे नानक माया निकट भी नहीं आती । ||७||
सलोक:
ईश्वर स्वयं ही मनुष्य को अच्छे और बुरे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है।