केवल वे ही आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान पाते हैं,
जिसे प्रभु अपनी दया से आशीर्वाद देते हैं;
गिनती और हिसाब से कोई भी मुक्ति नहीं पाता।
मिट्टी का बर्तन अवश्य ही टूट जायेगा।
केवल वे ही जीवित हैं, जो जीवित रहते हुए भगवान का ध्यान करते हैं।
हे नानक! वे आदरणीय हैं और छिपे नहीं रहते। ||२१||
सलोक:
अपनी चेतना को उनके चरण-कमलों पर केन्द्रित करो, और तुम्हारे हृदय का उल्टा कमल खिल उठेगा।
हे नानक! संतों की शिक्षा के माध्यम से ब्रह्मांड का स्वामी स्वयं प्रकट हो जाता है। ||१||
पौरी:
चाचा: धन्य है, धन्य है वह दिन,
जब मैं भगवान के चरण कमलों में आसक्त हो गया।
चारों दिशाओं और दसों दिशाओं में भ्रमण करने के बाद,
भगवान ने मुझ पर दया की और फिर मुझे उनके दर्शन का धन्य दर्शन प्राप्त हुआ।
शुद्ध जीवनशैली और ध्यान से सभी द्वैत दूर हो जाते हैं।
साध संगत में मन पवित्र हो जाता है।
चिंताएँ भूल जाती हैं, और एकमात्र प्रभु ही दिखाई देता है,
हे नानक, जिनकी आँखें आध्यात्मिक ज्ञान के तेल से अभिषेकित हैं। ||२२||
सलोक:
ब्रह्माण्ड के स्वामी की महिमामय स्तुति का कीर्तन और गायन करने से हृदय को शीतलता और शांति मिलती है तथा मन शांत होता है।