कुछ लोग गाते हैं कि वह शरीर को बनाता है और फिर उसे पुनः धूल में मिला देता है।
कुछ लोग गाते हैं कि वह जीवन ले लेता है और फिर उसे बहाल कर देता है।
कुछ लोग गाते हैं कि वह बहुत दूर लगता है।
कुछ लोग गाते हैं कि वह हम पर नज़र रखता है, आमने-सामने, सदा उपस्थित।
उपदेश देने और शिक्षा देने वालों की कोई कमी नहीं है।
लाखों लोग लाखों उपदेश और कहानियाँ देते हैं।
महान दाता निरंतर देता रहता है, जबकि पाने वाले पाने से थक जाते हैं।
युगों-युगों से उपभोक्ता उपभोग करते रहे हैं।
सेनापति अपनी आज्ञा से हमें मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
हे नानक, वह निश्चिंत और अविचलित होकर खिलता है। ||३||
सच्चा है गुरु, सच्चा है उसका नाम - इसे असीम प्रेम से बोलो।
लोग याचना करते हैं और प्रार्थना करते हैं, "हमें दो, हमें दो", और महान दाता अपना उपहार देता है।
तो फिर हम उनके सामने क्या भेंट रख सकते हैं, जिससे हम उनके दरबार के दर्शन कर सकें?
हम उनके प्रेम को जगाने के लिए कौन से शब्द बोल सकते हैं?
अमृत वलय में, भोर से पहले के अमृतमय घंटों में, सच्चे नाम का जप करें, और उसकी महिमामय महानता का चिंतन करें।
पूर्व कर्मों के फलस्वरूप ही यह भौतिक शरीर मिलता है। उनकी कृपा से ही मोक्ष का द्वार मिलता है।
हे नानक, यह अच्छी तरह जान लो कि वह सत्यस्वरूप ही सर्वस्व है। ||४||
उसे स्थापित नहीं किया जा सकता, उसे बनाया नहीं जा सकता।
वह स्वयं निष्कलंक और पवित्र है।
जो लोग उसकी सेवा करते हैं उन्हें सम्मान मिलता है।