तुम वही हो जिसके शरीर के किसी अंग को मृत्यु के सर्प ने कभी नहीं डसा है!
कौन अजेय सत्ता है और कौन अविनाशी और अविनाशी है!
जिसे वेद नेति नेति (यह नहीं यह नहीं) और अनंत कहते हैं!
जिसे सेमेटिक शास्त्र अबोधगम्य कहते हैं! 7. 127
जिसका स्वरूप अज्ञात है और जिसका आसन स्थिर है!
जिसका प्रकाश असीम है और जो अजेय एवं अजेय है!
जिनके ध्यान और दर्शन के लिए अनंत ऋषिगण !
अनेक कल्पों तक कठिन योगाभ्यास करो! 8. 128
तेरे साक्षात्कार के लिए वे अपने शरीर पर सर्दी गर्मी और वर्षा सहन करते हैं!
कई युगों तक वे एक ही मुद्रा में रहते हैं!
वे योग सीखने के लिए बहुत प्रयास करते हैं और चिंतन करते हैं!
वे योग का अभ्यास करते हैं, फिर भी वे आपके अंत को नहीं जान सकते! 9. 129
कई लोग तो हाथ उठाकर कई देशों में घूमते हैं!
कई लोग अपने शरीर को उल्टा करके जलाते हैं!
कई लोग स्मृति, शास्त्र और वेदों का पाठ करते हैं!
बहुत से लोग कोक शास्त्र (सेक्स से संबंधित), अन्य काव्य पुस्तकें और सेमेटिक शास्त्र पढ़ते हैं! 10. 130
कई लोग हवन (अग्नि-पूजा) करते हैं और कई लोग हवा पर निर्वाह करते हैं!
कई लाख लोग मिट्टी खाते हैं!
लोग हरी पत्तियां खाएं!
फिर भी प्रभु स्वयं को उनके सामने प्रकट नहीं करते! 11. 131