उसी के आदेश से यह संसार उत्पन्न हुआ है, उसी के आदेश से यह पुनः उसी में विलीन हो जायेगा।
उनके आदेश से ही किसी का व्यवसाय ऊंचा या नीचा होता है।
उनके आदेश से, इतने सारे रंग और रूप हैं।
सृष्टि की रचना करके वह अपनी महानता को देखता है।
हे नानक, वह सबमें व्याप्त है। ||१||
यदि इससे भगवान प्रसन्न होते हैं तो मोक्ष प्राप्त होता है।
अगर भगवान् को अच्छा लगे तो पत्थर भी तैर सकते हैं।
यदि ईश्वर को यह अच्छा लगे तो शरीर सुरक्षित रहता है, भले ही उसमें प्राण न हों।
यदि भगवान प्रसन्न हों तो भगवान की महिमा का गुणगान किया जाता है।
यदि यह परमेश्वर को प्रसन्न करता है, तो पापी भी बच जाते हैं।
वह स्वयं कार्य करता है, और स्वयं ही चिंतन करता है।
वह स्वयं दोनों लोकों का स्वामी है।
वह खेलता है और आनंद मनाता है; वह अंतर्यामी है, हृदयों का अन्वेषक है।
वह जैसी इच्छा करता है, वैसे ही कार्य करवाता है।
नानक उसके अलावा अन्य किसी को नहीं देखते ||२||
मुझे बताओ - एक साधारण मनुष्य क्या कर सकता है?
जो कुछ परमेश्वर को प्रसन्न करता है, वही वह हमसे करवाता है।
यदि यह हमारे हाथ में होता तो हम सब कुछ हड़प लेते।
जो कुछ भी परमेश्वर को अच्छा लगता है - वही वह करता है।
अज्ञानता के कारण लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।