कई सेनानियों के सिर पर मौत के अंतिम क्षण आ गए।
वीर योद्धाओं को उनकी माताएं भी नहीं पहचान सकीं, जिन्होंने उन्हें जन्म दिया था।43.
सुम्भ ने स्रांवत बीज की मृत्यु का बुरा समाचार सुना
और युद्ध के मैदान में आगे बढ़ती दुर्गा का कोई भी सामना नहीं कर सकता था।
उलझे बालों वाले कई बहादुर लड़ाके उठ खड़े हुए
ढोल बजाने वालों को ढोल बजाना चाहिए क्योंकि वे युद्ध के लिए जाएंगे।
जब सेनाएँ आगे बढ़ीं तो धरती काँप उठी
हिलती हुई नाव की तरह, जो अभी भी नदी में है।
घोड़ों की टापों के साथ धूल भी उठी
और ऐसा प्रतीत होने लगा कि पृथ्वी इन्द्र के पास शिकायत करने जा रही है।44.
पौड़ी
इच्छुक कार्यकर्ता काम में लग गए और योद्धा के रूप में उन्होंने सेना को सुसज्जित किया।
वे दुर्गा के आगे-आगे चल रहे थे, जैसे तीर्थयात्री हज के लिए काबा (मक्का) जा रहे हों।
वे तीर, तलवार और खंजर के माध्यम से योद्धाओं को युद्ध के मैदान में आमंत्रित कर रहे हैं।
कुछ घायल योद्धा स्कूल में क़ादियों की तरह झूल रहे हैं और पवित्र कुरान पढ़ रहे हैं।
कुछ बहादुर लड़ाकों को नमाज अदा करने वाले एक कट्टर मुसलमान की तरह खंजरों और पट्टियों से छलनी कर दिया जाता है।
कुछ लोग अपने दुष्ट घोड़ों को भड़काकर अत्यंत क्रोध में दुर्गा के सामने जाते हैं।
कुछ लोग दुर्गा के सामने भूखे बदमाशों की तरह भागते हैं
जो युद्ध में कभी संतुष्ट नहीं हुए थे, किन्तु अब वे तृप्त और प्रसन्न हैं।45.
जंजीरों से बंधी दोहरी तुरही बज उठी।