फिर क्या होगा, यदि संसार में आते ही कोई दस राक्षसों को मार डाले
तथा सब को अनेक दिव्य दृश्य दिखाए और लोगों से उसे ब्रह्म कहलवाया।1.
उसे ईश्वर, संहारक, सृष्टिकर्ता, सर्वशक्तिमान और शाश्वत कैसे कहा जा सकता है?
जो शक्तिशाली मौत की घाव देने वाली तलवार से खुद को बचा नहीं सका।2.
हे मूर्ख! सुनो, जब वह स्वयं महान् समुद्र में डूबा हुआ है, तब वह तुम्हें भयंकर संसार सागर में कैसे डाल सकता है?
तुम मृत्यु के जाल से तभी बच सकते हो जब तुम संसार का सहारा पकड़ लो और उसकी शरण में आ जाओ।3.
दसवें राजा का ख्याल
प्रिय मित्र को शिष्यों की स्थिति बताओ,
तेरे बिना रजाई संभालना बीमारी के समान है और घर में रहना साँपों के साथ रहने के समान है।
कुप्पी कील के समान है, प्याला खंजर के समान है और (वियोग) कसाइयों की तलवार की मार सहने के समान है।
प्रिय मित्र का भोग अत्यन्त सुखदायी है और सांसारिक सुख भट्टी के समान हैं।
दसवें राजा की तिलंग काफ़ी
सर्वोच्च संहारक अकेला ही सृष्टिकर्ता है,
वह आरंभ में है और अंत में है, वह अनंत सत्ता है, सृजनकर्ता और संहारक है... रुकें।
उसके लिए निन्दा और प्रशंसा समान हैं, और उसका न कोई मित्र है, न कोई शत्रु,
किस महत्वपूर्ण आवश्यकता के कारण वे सारथी बने ?1.
वह मोक्षदाता, जिसका न पिता है, न माता, न पुत्र, न पौत्र।
हे प्रभु, उसने दूसरों को उसे देवकी का पुत्र कहने की क्या आवश्यकता उत्पन्न कर दी?
जिन्होंने देवताओं, दानवों, दिशाओं तथा सम्पूर्ण विस्तार को उत्पन्न किया है,
किस आधार पर उन्हें मुरार कहा जाना चाहिए? 3.