हे मनुष्य! उस परम पुरुष के चरणों में गिरो,
क्यों सांसारिक मोह में सो रहे हो, कभी तो जागकर सावधान हो जाओ ?..... रुको ।
हे पशु! जब तुम स्वयं अज्ञानी हो तो दूसरों को उपदेश क्यों देते हो?
क्यों पाप बटोर रहे हो? कभी विषैले भोग का त्याग करो।१।
इन कार्यों को भ्रम समझो और अपने आपको सत्कर्मों में लगाओ,
प्रभु के नाम के स्मरण में लीन हो जाओ और पापों को त्यागकर उनसे दूर भाग जाओ।2.
ताकि दुख और पाप तुम्हें परेशान न करें और तुम मौत के जाल से बच सको
यदि तुम सभी सुखों का आनंद लेना चाहते हो तो भगवान के प्रेम में लीन हो जाओ।३.३.
दसवें राजा का राग सोरठ
हे प्रभु! केवल आप ही मेरे सम्मान की रक्षा कर सकते हैं! हे नीले गले वाले मनुष्यों के स्वामी! हे नीले वस्त्र पहने हुए वनों के स्वामी! रुकें।
हे परम पुरुष! परम ईश्वर! सबके स्वामी! पवित्रतम देव! वायु में रहने वाले
हे लक्ष्मी के स्वामी! महानतम प्रकाश!,
मधु और मूस नामक दैत्यों का नाश करने वाले तथा मोक्ष के दाता!१.
हे प्रभु, पाप रहित, क्षय रहित, निद्रा रहित, विष रहित तथा नरक से मुक्ति दिलाने वाले!
हे दया के सागर! हे सब कालों के द्रष्टा! हे पाप कर्मों के नाश करने वाले!....२.
हे धनुषधारी! हे धैर्यवान! हे पृथ्वी के आधार! हे पापरहित प्रभु! हे तलवारधारी!
मैं मूर्ख हूँ, मैं आपके चरणों की शरण लेता हूँ, मेरा हाथ पकड़िए और मेरा उद्धार कीजिए।३।
दसवें राजा का राग कल्याण
ईश्वर के अलावा किसी और को ब्रह्मांड का रचयिता मत मानो
वह, अजन्मा, अजर और अमर, आरंभ में था, उसे परम ईश्वर मानो... रुकें।