हे नानक, जिसे भगवान स्वयं ऐसा बनाते हैं। ||२||
ईश्वर-चेतनावान सत्ता सबकी धूल है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी आत्मा के स्वरूप को जानता है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी सभी के प्रति दया दिखाता है।
ईश्वर-चेतना से कोई बुराई नहीं आती।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी सदैव निष्पक्ष रहता है।
भगवत्-चेतन सत्ता की दृष्टि से अमृत बरसता है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी उलझनों से मुक्त है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी की जीवनशैली निष्कलंक शुद्ध होती है।
आध्यात्मिक ज्ञान ईश्वर-चेतनावान प्राणी का भोजन है।
हे नानक! भगवत्-चेतनावान प्राणी भगवान के ध्यान में लीन है। ||३||
ईश्वर-चेतना वाला प्राणी अपनी आशाएं केवल एक पर ही केन्द्रित करता है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी कभी नष्ट नहीं होगा।
ईश्वर-चेतना वाला प्राणी विनम्रता में डूबा रहता है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी दूसरों का भला करने में प्रसन्न होता है।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी को कोई सांसारिक उलझन नहीं होती।
ईश्वर-चेतनावान प्राणी अपने भटकते मन को नियंत्रण में रखता है।
ईश्वर-चेतना वाला प्राणी सर्वजन हिताय कार्य करता है।
ईश्वर-चेतना से युक्त प्राणी फल-फूल कर फलता-फूलता है।
भगवत्-चेतना की संगति में सभी का उद्धार हो जाता है।