सुनना-सिद्ध लोग, आध्यात्मिक गुरु, वीर योद्धा, योग गुरु।
सुनना-पृथ्वी, उसका आधार और आकाशीय ईथर।
सुनना - महासागर, संसार की भूमियाँ और पाताल लोक।
सुनना-मृत्यु तुम्हें छू भी नहीं सकती।
हे नानक! भक्तजन सदैव आनंद में रहते हैं।
श्रवण-दुख पाप मिट जाते हैं। ||८||
सुन रहे हैं- शिव, ब्रह्मा और इन्द्र।
सुनकर-दुष्ट-मुख वाले लोग भी उसकी प्रशंसा करते हैं।
सुनना-योग की तकनीक और शरीर के रहस्य।
श्रवण-शास्त्र, सिमरितियाँ और वेद।
हे नानक! भक्तजन सदैव आनंद में रहते हैं।
श्रवण-दुख पाप मिट जाते हैं। ||९||
सुनना-सत्य, संतोष और आध्यात्मिक ज्ञान।
सुनो-अड़सठ तीर्थस्थानों पर शुद्धि स्नान करो।
सुनने-पढ़ने और सुनाने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
सुनकर-सहज रूप से ध्यान के सार को समझें।
हे नानक! भक्तजन सदैव आनंद में रहते हैं।
श्रवण-दुख और पाप मिट जाते हैं। ||१०||
सुनकर पुण्य के सागर में गोता लगाओ।
सुनने वाले- शेख, धार्मिक विद्वान, आध्यात्मिक शिक्षक और सम्राट।