तू ही सबको पार करने वाला है!
हे प्रभु! तू सदैव आनंदित है!
हे प्रभु! तू ही सब कुछ जानने वाला है!
कि तुम सभी को सबसे प्रिय हो! 156
कि तू प्रभुओं का प्रभु है!
कि तू सभी से छिपा हुआ है!
कि तुम देशहीन और लेखाहीन हो!
कि तू सदैव ही विकृत है! 157
कि तुम पृथ्वी और स्वर्ग में हो!
तू चिन्हों में अत्यन्त गम्भीर है!
कि तू परम उदार है!
तुम साहस और सौंदर्य की प्रतिमूर्ति हो! 158
हे प्रभु! ...
हे तुम असीम सुगंध हो!
हे परमेश्वर! हे परमेश्वर! हे परमेश्वर! हे परमेश्वर!
तुम असीम महान हो! 159
तुम असीम विस्तार हो!
हे प्रभु! तू स्वयं प्रकाशमान है!
कि तुम स्थिर और अंगहीन हो!
हे प्रभु! ...