कहीं पितरों के लिए कर्म किए जाते हैं तो कहीं वैदिक आदेशों का पालन किया जाता है!
कहीं नृत्य सम्पन्न होते हैं तो कहीं गीत गाए जाते हैं!
कहीं-कहीं शास्त्रों और स्मृतियों का पाठ किया जाता है!
एक पैर पर खड़े होकर प्रार्थना करें! 17. 137
कई लोग अपने शरीर से जुड़े रहते हैं और कई लोग अपने घरों में रहते हैं!
कई लोग विभिन्न देशों में संन्यासी बनकर घूमते हैं!
कई लोग पानी में रहते हैं और कई लोग आग की गर्मी सहते हैं!
बहुत से लोग प्रभु की आराधना उल्टा मुँह करके करते हैं! 18. 138
कई लोग विभिन्न कल्पों (युगों) तक योग का अभ्यास करते हैं!
फिर भी वे प्रभु के अन्त को नहीं जान सकते!
लाखों लोग विज्ञान के अध्ययन में संलग्न हैं!
फिर भी वे प्रभु के दर्शन नहीं कर सकते! 19. 139
भक्ति की शक्ति के बिना वे भगवान को प्राप्त नहीं कर सकते!
यद्यपि वे यज्ञ करते हैं, दान-पुण्य करते हैं!
भगवान के नाम में एकाग्रचित्त लीन हुए बिना !
सारे धार्मिक अनुष्ठान व्यर्थ हैं! 20. 140
आपकी कृपा से टोटक छंद!
तुम सब एक साथ इकट्ठे हो जाओ और उस प्रभु की जयजयकार करो!
जिनके भय से आकाश, पाताल और पृथ्वी काँप उठते हैं!
जिसकी प्राप्ति के लिए जल और थल के सभी तपस्वी तपस्या करते हैं!