तू हर देश में है!
तू ही हर वेश में है!
कि तू ही सबके राजा है!
तू ही सबके रचयिता है! 112
कि आप सभी धार्मिक लोगों के लिए सबसे लंबे समय तक रहें!
तू ही सबके भीतर है!
तू सर्वत्र रहता है!
तू ही सबकी महिमा है! 113
तू ही सब देशों में है!
तू सभी वेशों में है!
हे प्रभु! तू ही सबका नाश करने वाला है!
तू ही सबके पालनहार है! 114
तू सबका नाश कर देता है!
कि तू सभी स्थानों पर जाता है!
कि तूने सारे वेश धारण कर रखे हैं!
तू ही सब कुछ देखता है! 115
तू ही सबके कारण है!
तू ही सबकी महिमा है!
तू सब कुछ सुखा देता है!
तू ही सब कुछ भर देता है! 116