अनेक देशों में तपस्वी वेश में भटकने तथा जटाधारी होने के कारण प्रियतम भगवान् का साक्षात्कार नहीं हो सका।
लाखों आसन अपनाना, योग के आठ चरणों का पालन करना, मंत्र पढ़ते हुए अंगों को छूना और चेहरे पर श्याम वर्ण लगाना।
परंतु उस अतीन्द्रिय और दयालु अधम प्रभु का स्मरण किए बिना मनुष्य अन्ततः यमलोक को जाता है। 10.252.