उसने तुम्हें शरीर और धन तो दे दिया है, परन्तु तुम उससे प्रेम नहीं करते।
नानक कहते हैं, तू पागल है! तू अब क्यों इतना असहाय होकर काँप रहा है? ||७||
गुरु तेग बहादुर जी की बानी